विश्व बैंक के बाद अब अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने भी भारत के लिए चालू वित्त वर्ष में विकास दर के अनुमान को घटा दिया है। आईएमएफ ने दावोस में चल रहे विश्व आर्थिक मंच की बैठक के दौरान इस अनुमान को जारी किया है। आईएमएफ की मुख्य अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथन ने कहा है कि भारत सहित कई देशों में छाई सुस्ती का असर दुनिया भर में देखने को मिल रहा है। गोपीनाथ ने यह भी कहा कि 2020 में वैश्विक वृद्धि में तेजी अभी काफी अनिश्चित बनी हुई है। इसका कारण यह अर्जेन्टीना, ईरान और तुर्की जैसी दबाव वाली अर्थव्यवस्थाओं के वृद्धि परिणाम और ब्राजील, भारत और मेक्सिको जैसे उभरते और क्षमता से कम प्रदर्शन कर रहे विकासशील देशों की स्थिति पर निर्भर है। अनुमान के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में भारत की विकास दर 4.8 फीसदी रहेगी। वहीं 2020 में 5.8 फीसदी और 2021 में इसके 6.5 फीसदी रहने की संभावना है। आईएमएफ ने कहा है कि अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने के लिए भारत को जल्द से जल्द बड़े कदम उठाने की जरूरत है। इस संदर्भ में आईएमएफ ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था, ग्लोबल इकोनॉमिक ग्रोथ को बढ़ाने वाली अर्थव्यवस्था में से एक है, इसलिए भारत को तेजी से कदम उठाने होंगे। मुद्राकोष ने कहा कि भारत में घरेलू मांग उम्मीद से हटकर तेजी से घटी है। इसका कारण एनबीएफसी में दबाव और कर्ज वृद्धि में नरमी है। गोपीनाथ ने कहा कि मुख्य रूप से गैर-बैंकिंग वित्तीय क्षेत्र में नरमी तथा ग्रामीण क्षेत्र की आय में कमजोर वृद्धि के कारण भारत की आर्थिक वृद्धि दर अनुमान कम किया गया है।
झटकाः IMF ने घटाया जीडीपी अनुमान, कहा- भारत के कारण दुनिया में सुस्ती